DO KAVITAYEN HINDI, BR Raksun [best e reader for android .txt] 📗
- Author: BR Raksun
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मैं हूँ एक नादान
- बीआर राकसन
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
हवा की आवाज से मैं अकिंचन
सोचती हूँ वह मुझे बुलाती है।
पेडों की नन्हीं टहनियों का गान
मुझे अपना संगीत सा लगता है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
झरनों की शायरी की वो शान
मेरे अंदर खुशियाँ क्यों भरती है?
लगता है पहाड मेरा घर समान
मगर न जानूं सुरक्षित क्या है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
लगता है नदी मेरी माँ समान
मगर पानी पीने का डर है।
पढाई में मिला पंडित सम्मान
लेकिन अपना कोई नहीं है।
मैं हूँ एक अनाडी पंछी नादान
न जानूं समझूं दुनिया क्या है।
लगता है दुनिया सारी मेरी
मगर विचार है मेरा, कुछ भी नहीं।
मैं हूँ एक नासमझ हर कहीं
कुछ नहीं जानता मैं अज्ञान।
खूबसूरत जिंदगी
- बीआर राकसन
जिन्दगी खूबसूरत मिली हमें,
क्यों ना हम हैं खुदा के बन्दे?
मदद के हैं कई हाथ मिले हमें
क्यों ना हम हैं खुदा के कारिन्दे?
मिला है विनश्वर संसार ही हमें,
जी रहे हैं हम जैसे अमर बन्दे?
हर्ष उत्कर्ष का जीवन मिला हमें
क्यों नहीं हम हैं संतोष के बन्दे?
हर दिशा में मोहकता मिली हमें,
हम हैं निर्झर व हिरयाली के बन्दे।
मौसमों के बीच मिला खेल हमें,
क्यों नहीं हम हैं ऋतुओं के बन्दे?
जिंदगी खूबसूरत मिली है हमें
हम शुक्रगुजार हैं खुदा के बन्दे।
आजादी अनंत है मिली हमें
क्यों नहीं हम हैं जिंदगी के बन्दे?
END
ImprintText: Sunkara Bhaskara Rao
Images: Sunkara Bhaskara Rao
Editing: Sunkara Bhaskara Rao
Translation: -
Publication Date: 07-14-2015
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