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author - "अभिषेक दलवी"

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यह कहानी है उस खजाने की जो सत्रहवी शताब्दी में दुनिया से छिपाया गया था। यह खजाना किसी के लिए अमानत था, किसी के लिए पुरखों का आशीर्वाद तो किसके लिए बस अमीर बनने का रास्ता ।इस खजाने को छिपाने के बाद कई दिन महीने साल सदियां तक बीत गई पर किसीने भी इसे ढूंढने की हिम्मत नहीं की। क्योंकी इसे छिपानेवालों इतने गुमनामी चालाखी और होशियारी से अपना काम किया था की सुननेवालों को यह खजाने की हक़ीक़त सिर्फ अफवा लगे । पर इस अफवा को सच माननेवालों ने भी कभी इसे तलाशने की कोशिश नहीं की। क्योंकी वह यह बात अच्छी तरह से

यह लेखक से लिखित पहली प्रेम कहानी है। हमारे देश के इतिहास में कई प्रेम कहानियां हुई है, कुछने इतिहास बनाया है, तो कुछ इतिहास बनकर रह गई। आज भी प्यार करने का हक हर किसी को है, पर अपनी मर्जी से शादी करने का बिल्कुल भी नहीं।

यह कहानी है उस खजाने की जो सत्रहवी शताब्दी में दुनिया से छिपाया गया था। यह खजाना किसी के लिए अमानत था, किसी के लिए पुरखों का आशीर्वाद तो किसके लिए बस अमीर बनने का रास्ता ।इस खजाने को छिपाने के बाद कई दिन महीने साल सदियां तक बीत गई पर किसीने भी इसे ढूंढने की हिम्मत नहीं की। क्योंकी इसे छिपानेवालों इतने गुमनामी चालाखी और होशियारी से अपना काम किया था की सुननेवालों को यह खजाने की हक़ीक़त सिर्फ अफवा लगे । पर इस अफवा को सच माननेवालों ने भी कभी इसे तलाशने की कोशिश नहीं की। क्योंकी वह यह बात अच्छी तरह से

यह लेखक से लिखित पहली प्रेम कहानी है। हमारे देश के इतिहास में कई प्रेम कहानियां हुई है, कुछने इतिहास बनाया है, तो कुछ इतिहास बनकर रह गई। आज भी प्यार करने का हक हर किसी को है, पर अपनी मर्जी से शादी करने का बिल्कुल भी नहीं।