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Book online «Father, Mother and Daughters Hindi, BR Sunkara [rm book recommendations txt] 📗». Author BR Sunkara



Father, Mother and Daughters


Father, Mother and Daughters


What the relations stand for If not helpful in troubles?


BR SUNKARA

 

Ram Singh is a farmer and he has two daughters. Father cares both of them alike. Kamala is his second wife.  As kamala is the second wife, she loves the elder daughter of first wife more. It is because she was afraid of the people. She wanted that people should say only one thing- “she loved the elder girl more than her own daughter”. What happened next?

 

राम सिंह एक मामूली किसान था। वह पढ़ा-लिखा नहीं था। प्रसव के समय उसकी पहली बीवी नेहा की मौत हो गई। अपनी बेटी प्रेमा की देखभाल के लिए उसने कमला से शादी कर ली। शादी के समय उसने कमला से वचन लिया कि वह प्रेमा को अच्छी तरह पालकर अपना कर्तव्य निभायेगी।

 

कमला के मन में माँ की ममता पहले ही आयी और उसके बाद ही उसकी गोद में दिव्या आयी। कमला ने प्रेमा को जो प्यार दिया था, वह उसने अपनी बेटी दिव्या को नहीं दिया था। क्यों कि प्रेमा ही उसकी पहली बेटी थी और पहले का स्थान हमेशा पहला होता है, दूसरा नहीं होता।

 

राम सिंह:

 

कमला दोनों लड़कियों को अच्छी तरह पाल रही है। प्रेमा को दिव्या से ज्यादा प्यार दे रही है। मैं चाहता हूँ कि दोनों बेटियों की शादी अच्छी जगह हो जाये और वे सुखी जीवन बितायें।

 

मेरे पास तीस बीघा जमीन है. एक एक लड़की को शादी में दस-दस बीघा जमीन दे दूंगा और बाकी दस बीघा जमीन भी हमारे बाद उनकी ही होगी। कमला को मैं ने बहुत प्यार दिया और कमला भी मुझे भरपूर प्यार देती है।

 

हमारा जीवन सुख-संतोष से इसी प्रकार गुजरे, भगवान से मैं यही प्रार्थना करता हूँ।

 

कमला:

 

मैं ने सोचा कि दूसरी शादी करने वाला कैसा होगा और मारी जिंदगी कैसी होगी। मुझे पहले डर लगा कि मेरे बाप गरीब हैं, मेरा घर ठीक नहीं रहेगा तो मैं अपने माँ-बाप पर मैं बोझ बन जाऊँगी।

 

हमारे भगवान भोलानाथ ने हम पर कृपा की और मुझे अच्छा पतिदेव दिया। मेरा पतिदेव मुझे बहुत प्यार से देखते हैं। जीवन भर उन्हों ने मुझ से एक ही अनुरोध किया। वे चाहते हैं कि पहली बेटी को मैं भरपूर प्यार दूँ। मैं ने वचन दिया और उसे हूबहू निभाया। मैं ने अपनी बेटी से ज्यादा उसे प्यार दिया।

 

मेरे प्यार के लिए इस गाँव के लोग बाग ही साक्षी हैं। सब जानते हैं कि मैं ने प्रेमा को इतना प्यार दिया कि वह प्यार मेरी खोक से पैदा हुई दिव्या को मैं दे नहीं पायी।

 

मेरे मन में हमेशा यही डर रहता है कि अगर मैं दोनों लड़कियों को एक समान देखूँ तो लोग मुझ में कोई कमी देखने की कोशिश करेंगे। मैं ने उन्हें यह अवसर नहीं दिया।

 

प्रेमा:

 

माँ मेरी छोटी बहन दिव्या से ज्यादा मुझे प्यार करती है। मैं समझ नहीं सकी कि ऐसा क्यों हो रहा है। एक दिन बुआ ने कहा कि मेरी माँ नेहा मर गई है और बाप ने मेरी दूसरी माँ कमला के साथ शादी कर ली। उसे डर है कि अगर वह मुझे भरपूर प्यार नहीं देगी तो लोग उसको बुरा मानेंगे और उसकी बुराई को सब से कहते फिरते हुए उसका बदनाम करेंगे। तभी मुझे मालूम हुआ कि मेरी माँ कमला का प्रेम एक नाटक ङो सकता है। यह राज बताकर बुआ ने मुझ से कहा कि मैं असलियत जान लूँ। मुझे बुए की बातों पर विश्वास नहीं हुआ। मेरा दूसरी माँ कमला मेरी असली माँ जैसी ही दिखाई देती है।

 

मैं ने कभी सोचा ही नहीं कि यह प्यार सच्चा है या नाटक। मुझे हमेशा ऐसा ही लगता है कि कमला ही मेरी असली माँ है। अपनी असली माँ को मैं ने कभी देखा ही नहीं। मुझे बुआ की बातों पर गुस्सा आया। मैं ने एक बार पापा से पूछा कि बुआ का ऐसा कहना सच है या झूठ। पापा ने कहा कि बुआ की बातें झूठ हैं और कमला ही मेरा माँ है। इसके बाद बुआ का हमारे घर पर आना बंद हो गया।

 

माँ जहाँ भी जाती, मुझे ही अपने साथ ले जाती है। दिव्या को आने नहीं देती। उसे हमेशा पढ़ने के लिए कहकर, उसे खेलने नहीं देती। मैं जब भरपूर सोती हूँ तो दिव्या पढ़ पढ़कर थक जाती है। मैं माँ से कहती हूँ कि दिव्या को भी जल्दी सोने दे। माँ मेरी बात पर ध्यान नहीं देती। दिव्या पर माँ प्यार नहीं दिखाती। मेरी समझ में नहीं आता कि माँ को छोटी बहन पर प्यार क्यों नहीं होता।

 

आखिर मैं इस लाड़-प्यार से दसवीं भी पास नहीं हुई। मैं रोने लगी तो माँ ने कहा कि पढ़कर हमें नौकरी थोड़े ही करनी है। चलो, पढ़ाई यहीं खतम हो गई। मुझे भी तब ये बातें बहुत अच्छी लगीं।

 

जब मेरी शादी की बात चल रही थी, लड़के के पिता ने दहेज में बीस बीघा जमीन माँगी। पिताजी संदेह करने लगे तो माँ ने सलाह दिया कि मान लें। बीस बीघा देकर एक किसान के बेटे के साथ मेरी शादी करवा दी। वे चाहते थे कि मैं संतोष से रहूँ।

 

लेकिन मेरा पति मेहनत नहीं करता। जुआ खेलता है और शराब पीता है। उन्हों ने कुछ जमीन भी बेच दी। मुझे इस शादी से सुख नहीं मिला। मैं क्या करूँ? ये बातें माँ को बताना नहीं चाहती, इन बातों से माँ बहुत दुखी होगी। मैं ने सुना कि मेरे पिता भी बीमार हैं। मेरा पति खुद मेहनत नहीं करता, कहने लगता कि मेरी पढ़ाई भी अच्छी नहीं है ताकि मैं कहीं नौकरी कर सकूँ। पति को नौकरी करनी है या पत्नी को, मैं समझ नहीं पाती। दहेज देकर लड़की की शादी करने वाले बदलने चाहिए, उन्हें लड़कियों को पढ़ानी चहिए। लड़कियँ पढ़ी-लिखी होती हैं तो वे नौकरी करके अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हैं। जहेज के झगड़ों से वे दूर रह सकती हैं।

 

दिव्या:

 

मेरी माँ से ज्यादा मेरे पिता जी ने मुझे प्यार दिया। माँ को प्रेमा ही बेटी लगी, मैं नहीं। मैं अनजाने में बहुत मेहनत करके पढ़कर, आज एमबीए हुई। माँ से दूर रहने के लिए मैं हास्टल में रहकर पढ़ने लगी। तभी मुझे मालूम हुआ कि लड़की को आजादी होनी चाहिए, पढ़ने, सोचने, समझने और निर्णय लेने की आजादी। मेरी माँ का मुझ पर प्यार नहीं होना मेरे लिए अच्छा ही हुआ।

 

कुछ गहरा सोचने पर लगता है कि माँ से मुझे अच्छाई ही हुई। अगर माँ ऐसा नहीं करती तो मैं भी अपनी दीदी की तरह दसवीं से रुक जाती। मेरी पढ़ाई स्थगित नहीं हुई तो इसका कारण माँ का प्यार कम मिलना ही है। चाहे माँ ने जानबूझकर या अनजाने मे मेरी तो भलाई ही की।

 

मैं ने अपने पति को चुनने का स्वयं निर्णय लिया। माँ या बाप ने इसे इनकार भी नहीं किया। अब हम दोनों दिल्ली में अच्छी-अच्छी कंपनियों में काम कर रहे हैं। हमारा जीवन सुख-संतोष से गुजर रहा है। हम ने एक नया फ्लैट भी खरीद लिया। हम ने एक कमरा मेरे माँ-बाप के लिए अलग रख लया है। मैं ने उन से वचन भी लिया कि मेरे माँ-बाप झ़रूरतमंद हैं, मैं उनकी देखरेख करना चाहती हूँ। उन्हों ने मेरी बात को स्वीकार किया और कहा, “मेरे माँ-बाप अब नहीं रहे, तुम्हारे माँ-बाप ही अब मेरे हैं।“

 

हम इस दिवाली को गाँव जाएंगे और माँ-बाप को मनवाकर, उन्हें यहाँ ले आएंगे।

 

मैं ने सुना कि प्रेमा का पति बुरी आदतों से बेकार बन रहा है। वे मान जाएँ तो प्रेमा दीदी को भी दिल्ली लाएंगे और किसी जगह उसके पति को नौकरी पर लगा देंगे। यह नहीं हो पाया तो हम दीदी को ही पढ़ाकर, उसे किसी जगह अच्छी नौकरी पर लगा देंगे।

 

तकलीफों में साथ नहीं रहें तो रिश्तों का आख़िर क्या मतलब है।

 

_THE END_

Imprint

Text: Sunkara Bhaskara Rao
Images: Sunkara Bhaskara Rao
Editing: Sunkara Bhaskara Rao
Translation: -
Publication Date: 09-07-2015

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