readenglishbook.com » Poetry » ek sham ki kahani, neha pandey pant, neha pandey pant [lightest ebook reader .txt] 📗

Book online «ek sham ki kahani, neha pandey pant, neha pandey pant [lightest ebook reader .txt] 📗». Author neha pandey pant, neha pandey pant



ek sham ki kahani.......

मस्तानी शाम

एक मस्तानी शाम मैं चुप चुप सी बैठी थी।

पर ना जाने ये जहन मे कौन आया, की वो एक शाम बड़ी खूबसूरत सी लगी।

भीग गयी पलके पर होठों पे कुछ खिचांव सा लगा।

जो मुस्कुराहट का था, एक एहसास का था।

ना मालूम था हमे की तुम्हारा आना भी जहन मे यूँ सितम् ढायेगा।

भीगेगीं पलके पर होठं खिलखलायेगां।

क्या अदा थी, उस शाम मे।

बीते लमहे याद आ गये एक पल मे

जरा सी तकलीफ दी हमने अपने जहन को।

ना जाना था, तुम्हारा एक चेहरा था उस एक तस्वीर में।

जो किया उस शाम् को सलाम् तो मुस्कुरा के बोली

तुम नजर तो पारखी करो

मैं यूं ही हर शाम् आंऊगी।

तुम्हे तुम्हारे यार से मिलवाने

हर एक अदा से गुदगुदाने

एक मस्तानी शाम् मे चुप चुप सी बैठी थी.......

Imprint

Publication Date: 07-26-2013

All Rights Reserved

Dedication:
this is dedicated to creation of beautiful nature, and an evening,s beauty...

Free e-book «ek sham ki kahani, neha pandey pant, neha pandey pant [lightest ebook reader .txt] 📗» - read online now

Comments (0)

There are no comments yet. You can be the first!
Add a comment